भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गोंदा फुलगे मोरे राजा / हरि ठाकुर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरि ठाकुर |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} {{KKCatChhattisgarhiRac...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

23:31, 1 नवम्बर 2016 के समय का अवतरण

हो गोंदा फुलगे मोरे राजा
गोंदा फुलगे मोर बैरी
छाती मं लागय बान

ठाढ़े हे बैरी टरत नई ये
मोर आंखी के पिसना मरत नईये
गोंदा फुलगे मोरे राजा
गोंदा फुल गे मोर बैरी
छाती मं लागय बान

पूनम के चंदा लजा के मर जाए
तोर रूप आज रतिहा गजब गदराए
गोंदा फुल गे मोरे राजा
गोंदा फुल गे मोर बैरी
छाती मं लागय बान

सुआ नही बोले ना बोले मैना
मैं तरसत हव सुनेबर तोरेच बैना
गोंदा फुल गे मोरे राजा
गोंदा फुल गे मोर बैरी
छाती मं लागय बान