भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रेम एक फ़रिश्ता / बालकृष्ण काबरा ’एतेश’ / माया एंजलो" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=माया एंजलो |अनुवादक=बालकृष्ण काब...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 18: पंक्ति 18:
 
अतीत के सुख की स्मृतियाँ
 
अतीत के सुख की स्मृतियाँ
 
दुख के प्राचीन इतिहास।
 
दुख के प्राचीन इतिहास।
किंतु यदि हम हों साहसी,
+
किन्तु यदि हम हों साहसी,
 
प्रेम हमारे मन से
 
प्रेम हमारे मन से
 
भय के बन्धनों को तोड़ देता है।
 
भय के बन्धनों को तोड़ देता है।

11:55, 22 नवम्बर 2016 के समय का अवतरण

हम, जिन्हें मालूम नहीं साहस,
आनन्द जहाँ निर्वासित,
पड़ा रहता है कुण्डली मारकर अकेलेपन के कवच में
जब तक प्रेम उपस्थित नहीं कर देता
हमारे सामने अति पावन-स्थल
हमें मुक्त करने जीवन में।

आता है प्रेम
और साथ होते हैं सिलसिले अतिहर्ष के
अतीत के सुख की स्मृतियाँ
दुख के प्राचीन इतिहास।
किन्तु यदि हम हों साहसी,
प्रेम हमारे मन से
भय के बन्धनों को तोड़ देता है।

प्रेम-प्रकाश की आभा में
हम मुक्त हो जाते हैं अपनी भीरुता से
हम में जागता है साहस
और अकस्मात्‌ हम पाते हैं
कि प्रेम है हमारा मूल्य
जिससे हम हैं और रहेंगे सदा।

अन्तत:
यह केवल प्रेम है
जो रखता है हमें मुक्त।

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’