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11:30, 23 नवम्बर 2016 के समय का अवतरण
कर्कश ध्वनि एक पक्षी की आँगन में
कोई सिक्का मानो पिगी बैंक में।
अपने हवादार पंख फैलाती
और अचानक गायब हो जाती।
स्यात् न कोई पक्षी, न आदमी वहाँ
हूँ मैं जिस आँगन में जहाँ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’