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11:31, 23 नवम्बर 2016 के समय का अवतरण
सुस्त दुपहरी और
धीरे-धीरे गहराती रात के बीच
एक युवा लड़की की टकटकी।
अपनी नोटबुक और लिखने का उसे ध्यान नहीं,
वह है दो स्थिर आँखें.
दीवार से आती रौशनी विलीन हो चुकी है।
क्या उसने अपना अन्त या अपना आरम्भ देखा?
वह कहेगी कि उसने कुछ नहीं देखा।
अनन्त है पारदर्शी।
उसे कभी भी पता न चलेगा कि उसने क्या देखा।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’