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"गरीबदास / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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उसका समाधान चाहिए
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दस बिस्वा से ज्यादा अच्छा
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दस बाई -दस पक्की कोठरी
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फेंक दे गठरी
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छप्पर - छान गिरा दे
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नाक की लम्बाई
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पर मत जा
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छोटी गठरी
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अब चौखट की
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क्या मजबूरी
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नयी सभ्यता
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लिये विदेशी कम्पनियाँ
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दरवाजे विनिवेश के लिए
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खोल रहीं
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पुरखों के सिक्के
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निकाल दे
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नये रूप में ढल
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जल्दी -जल्दी चल
 
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14:26, 1 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

गरीबदास ग़रीबी तेरी
ऊँचे दाम पे
बिकने वाली
कथरी -गुदरी उठने वाली
आर्थिक सुधार के अन्तर्गत
जो खाल तेरी बेकार पड़ी
भूसा -वूसा नहीं
अबे , अब उसमें
डालर भरा जायेगा

खँड़हर पेट
लगा दी जान
नहीं पटा
झोंका काँकर -पाथर
नहीं भठा
उसका समाधान चाहिए
दस बिस्वा से ज्यादा अच्छा
दस बाई -दस पक्की कोठरी
रख ले पर्स
फेंक दे गठरी
छप्पर - छान गिरा दे
नाक की लम्बाई
पर मत जा
बड़ी बखार हो
छोटी गठरी
अब चौखट की
क्या मजबूरी

नयी सभ्यता
लिये विदेशी कम्पनियाँ
दरवाजे विनिवेश के लिए
खोल रहीं
पुरखों के सिक्के
निकाल दे
नये रूप में ढल
जल्दी -जल्दी चल