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"श्रम का खिला गुलाब / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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श्रम का खिला गुलाब
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पसीना इत्र हुआ
  
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चॉदी - चॉदी नदी का पानी
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रेशम -रेशम रेत
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सोना- सोना माटी लागे
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भरे-भरे से खेत
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गजब की मस्ती है
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चने का झुमका बोले
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बालियाँ गेहूँ की
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रोम - रोम श्रृंगार
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पसीना वस्त्र हुआ
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खेत से आयेंगे खलिहान
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स्वप्न, भर देंगे जब दालान
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तेा हम तुम होंगे उनके बीच
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सूर्य जब करता हो विश्राम
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सितारों से हों रोशन गाँव
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चाँदनी रखे उसमें पाँव
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करे स्वागत गुनगुनी बयार
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मुरैला नाचे पंख पसार
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चातक बोले पीकर आग
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खुशबू की बरसात
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पसीना सर्द हुआ
 
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17:29, 1 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

पात-पात लहराकर मौसम
शाख़-शाख़ जो ज़िस्म छुआ
श्रम का खिला गुलाब
पसीना इत्र हुआ

चॉदी - चॉदी नदी का पानी
रेशम -रेशम रेत
सोना- सोना माटी लागे
भरे-भरे से खेत
गजब की मस्ती है
चने का झुमका बोले
बालियाँ गेहूँ की
रोम - रोम श्रृंगार
पसीना वस्त्र हुआ

खेत से आयेंगे खलिहान
स्वप्न, भर देंगे जब दालान
तेा हम तुम होंगे उनके बीच
सूर्य जब करता हो विश्राम
सितारों से हों रोशन गाँव
चाँदनी रखे उसमें पाँव
करे स्वागत गुनगुनी बयार
मुरैला नाचे पंख पसार
चातक बोले पीकर आग
खुशबू की बरसात
पसीना सर्द हुआ