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"खुला-खुला वह गाँव / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | घूँट-घूँट मटके का पानी | ||
+ | खुला-खुला वह गाँव | ||
+ | नीम की छाँव | ||
+ | शहर का सूरज आग लगे | ||
+ | धरती-अम्बर और मचान | ||
+ | जीवन-खुशबू और मसान | ||
+ | कदम-कदम पर मेरे पड़ोसी | ||
+ | मेरे बाजू-काँधे होते | ||
+ | नीर-क्षीर के हिस्से में | ||
+ | वो भी मेरे आधे होते | ||
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+ | धूप निकलते खिल उठती | ||
+ | गुँचा-गुँचा प्रीत | ||
+ | होते साँझ सँझौती गाती | ||
+ | उजियारे का गीत | ||
+ | तेज रोशनी के | ||
+ | अंधे गलियारे पाँव तले | ||
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+ | ऊँची चिमनी धुँए विषैले | ||
+ | प्लास्टिक फूल-धातु के गमले | ||
+ | घनी-घनी आबादी | ||
+ | कमरों में लोग अकेले | ||
+ | पैसे है तो नाते हैं | ||
+ | दिल नहीं बही खाते हैं | ||
+ | पृष्ठ-पृष्ठ पर एक कहानी | ||
+ | पीतल पर सोने का पानी | ||
+ | मन के मैले दिखते उजले | ||
+ | भरे-भरे से ताल ताक में बैठे बगुले | ||
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23:06, 1 जनवरी 2017 के समय का अवतरण
भाषा मीठी बोली बानी
घूँट-घूँट मटके का पानी
खुला-खुला वह गाँव
नीम की छाँव
शहर का सूरज आग लगे
धरती-अम्बर और मचान
जीवन-खुशबू और मसान
कदम-कदम पर मेरे पड़ोसी
मेरे बाजू-काँधे होते
नीर-क्षीर के हिस्से में
वो भी मेरे आधे होते
धूप निकलते खिल उठती
गुँचा-गुँचा प्रीत
होते साँझ सँझौती गाती
उजियारे का गीत
तेज रोशनी के
अंधे गलियारे पाँव तले
ऊँची चिमनी धुँए विषैले
प्लास्टिक फूल-धातु के गमले
घनी-घनी आबादी
कमरों में लोग अकेले
पैसे है तो नाते हैं
दिल नहीं बही खाते हैं
पृष्ठ-पृष्ठ पर एक कहानी
पीतल पर सोने का पानी
मन के मैले दिखते उजले
भरे-भरे से ताल ताक में बैठे बगुले