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"अपने जैसा होना / रामकिशोर दाहिया" के अवतरणों में अंतर

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20:35, 4 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

मैं पीतल औरों का
चिन्तन
मुझे बनाए सोना
मैं तो केवल
चाह रहा हूँ
अपने जैसा होना

अबके साल समय में
पल-पल
घर के अर्थ बदलते
देने वाले
हाथ काटते
बैशाखी को चलते

फल के भी हैं
अन्दर काँटे
परिणामों का रोना

पाँवों के नीचे
की धरती
पकड़े पर भी सरके
खड़े देखते
रहे तमाशे
अँगना, देहरी, फरके

भित्तियों से
करवाती छानी
मुझ पर जादू-टोना

मैंने उलटी
दिशा चुनी है
पद चिह्नों से हटकर
हवा रोकती
बढ़ना मेरा
स्वर लहरी को रटकर

केवल कोरे
आदर्शों को
कन्धों पर क्या ढोना