भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लौटने वालो / तो हू" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तो हू |संग्रह=जब पुकारती है कोयल / तो हू }} लौटने वालो, क्...)
(कोई अंतर नहीं)

20:08, 5 मई 2008 का अवतरण

लौटने वालो, क्या तुम्हे याद है देशभक्त सेनानी :

नमक-पानी में भींगा मुट्ठी-भर भात और

कंधों पर क्रोध का बोझ?


लौटने वालो, क्या तुम्हें याद हैं वे घर

भूरे सरपत की सर-सर और

लाल दिल का विस्फ़ोट भीतर-भीतर?
विएत बाँक
अक्तूबर 1954