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20:09, 5 मई 2008 के समय का अवतरण
लौटने वालो, क्या तुम्हे याद है देशभक्त सेनानी :
नमक-पानी में भींगा मुट्ठी-भर भात और
- कंधों पर क्रोध का बोझ?
लौटने वालो, क्या तुम्हें याद हैं वे घर
भूरे सरपत की सर-सर और
- लाल दिल का विस्फ़ोट भीतर-भीतर?
- (विएत बाँक, अक्तूबर 1954)