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हिम्मत देखा काम यदि छेंकत, मोला मिलिहय दुष्फल खायमंत्री करवा सकत निलम्बित, स्थानांतर बर अधरात।राजनीति सब के मुड़ नाचत, हर विभाग पर परत दबावतब अधिकारी कहां ले जोंगय – शासन बुता ला रख ईमान!बोलिस घना -”फिकर हा बढ़गे, तोर पास मंय दउड़त आयमगर समस्या बचे पूर्व अस, डेंवा ला का देंव जुवाप!सत्य के रक्षा बर यदि कहिहंव – अभि नइ होय बांध निर्माणसिंचई व्यवस्था करव तुमन खुद, शासन के छोड़व विश्वास।एमां डेंवा इहि समझिहय – हमर विधायक काम के शत्रुजनता के सुख दुख ले भगथय, अमरबेल अस स्वार्थी खूब।यदि मंय थाम्हत असच के अंचरा – अब बंध जहय बांध तत्कालखेत हा पल बिरता कंस देहय, मिटा जहय जनता के भूख।पर एकर ले काम अधूरा, धोखा खाहय जनता मोरपहिलिच के बदनाम हवन हम, उड़ा जहय जे कुछ विश्वास।”घना के दार भात हा चुरगे कार रुकय बरपेली।नमस्कार कर उहां ले रेंगिस पांव ला लेगत धीरे।घना हा डेंवा के तिर बोलिस -”जउन समस्या फंसे किसानओकर समाधान हा होहय, पूर्ण करे बर चलत प्रयास।यदि बाधा आ जहय बीच मं, बांध काम तब भले अपूर्णओकर दोष कहां ककरो मुड़, सफल विफलता प्रकृति हाथ।”डेंवा किहिस -”तोर बोली हा, करिस मोर मन ला संतोषहमर विधायक तंय धारन अस, बपुरा सुनथस हमर गोहार।”इही बीच मं अैयस उमेंदी, जेहर पूर्व विधायक आयजावत हे सक्षम मनसे तिर, मांगत हे आर्थिक सहयोग।घना करा गोहरात उमेंदी -”तंय हा जानत हस सब भेदकुर्सी पात विधायक मन हा, पांच बछर बर गिने गुनाय।नंगत खर्च चुनाव मं लगथय, होत कठिन डंट आय वसूलपद छूटत तंह हालत पतला, एकोकनिक होय नइ लाभ।इही व्यथा ला खतम करे बर, हमन बनाय एक ठक कोषओमा रुपिया जमा करत हन, सक्षम मन तिर धन ला मांग।दीन हीन जे पूर्व विधायक, रोगी वृद्ध असक विकलांगएमन ला सब दुरछुर करथंय, भात के बल्दा एल्हई ला खात।अइसन हीन ला मदद ला देवत, हम संस्था बनाय हन तेनयद्यपि स्वर्ग के सुख नइ पावय, पर जीवन चल सकिहय ठीक।तोर पास मंय आय आस धर तंय ढिल स्वीकृति बानी।नगदी रुपिया के प्रबंध कर देखा खिसा झन खाली।जउन समस्या रखिस उमेंदी, घना के मन अंदर भिंज गीसकहिथय -”मंय हा सेवा करिहंव, मदद ले मंय खसकंव नइ दूर।काबर के हमरो इहि दुर्गति, कहां दिखत निÏश्चत भविष्यहोत विधायक पद हा अस्थिर, बोइर असन झरत दिन एक।नगदी रुपिया बर अड़चन हे, ना कुछ जमा बैंक मं नोटवेतन बाद रकम गिन देहंव, तलगस रहव बना के धैर्य।”हटिस उमेंदी पा आश्वासन, तंहने डेंवा रखिस सवाल –“तंय हा रोय अपन अभि रोना, ओकर ले होवत आश्चर्य।अपन क्षेत्र के तंय मुखिया अस, होय तोर तिर नोट सदैवजउन मंगय तेला तंय बांटस, मगर देखाय रिता अस जेब?”हंसिस घना, डेंवा के भ्रम ला – “वइसे हमन देखाथन टेसहर सुख सुविधा पाल के रखथन, यने दिखब मं हम सम्पन्न।मगर आंतरिक हालत पतला, लुका के रख लेथन सच भेददिखथय पोख चना के फल हा, पर अंदर मं मारत भोंग।इहें हवंय पचकौड़ अउ मंगलिन, हमर ले उनकर तिर धन ढेरदुनों बीच मं अंतर अतका – मोटहा चांउर अउ दुबराज।”डेंवा बोलिस -”तंय नेता अस, झूठ बात पर हस बदनाममगर आज सच गठरी खोलत, कठिन बाद आवत विश्वास।हम किसान मन हा ठौंका मं, अपन ला पालत धोखा बीचरहत भूमि – घर हेलफेल अस, तंह समझत खुद ला धनवान।घर मं अन्न दूथ यदि होवत, तंहने कृषक बतावत टेस –हम नइ खावन जिनिस बिसा के, पर के जिनिस घृणा के भाव।पूछी उठा अभाव हा भग गिस, ककरो तिर नइ मांगन भीखसमझत कृषक हा खुद ला पुंजलग, कर घमंड करथय मुड़ ऊंच।पर घातक बीमारी सपड़त, सक ले अधिक खर्च हो जातकृषक के नारी जुड़ा जथय अउ, हर घर द्वार मं हाथ लमात।होय किसान खूब जमगरहा, पर असमर्थ करे ए काम-खोल सकय नइ मिल कारखाना, घूम सकय नइ विश्व सदैव।पंच सितारा होटल रुकिहय, तुरते बिकही ओकर खेतटी। वी। मं विज्ञापन देहय, दर ला सुन उड़ जाहय चेत।”तभे झिंगुट सम्मुख मं पहुंचिस जेहर अड़बड़ गप्पी।नाम कमाय गुनत हे लेकिन श्रम बर साधत चुप्पी।झिंगुट हा फट ले घना ला बोलिस -”मंय हा चलत ध्येय रख एकचित्रकार मंय निश्चय बनिहंव, भले बीच मं कष्ट अनेक।लेकिन पहिली एक बात कहि – मंय सोचत के पांव इनामयदि शासन ले तंय दिलवाबे, काम हा चलिहय धर रफ्तार।”किहिस घना -”तंय बातूनी हस, सोचत हस यश नाम कमायपर महिनत ले भगथस दुरिहा, अपन हाथ असफलता लात।अब ले तंय खुद के बूता कर, करव प्रदर्शन साथ प्रचारशासन अगर देखाहय ठेंगवा, दूसर कई झन दिही इनाम।”“तुम नेता मन हा देवात हव, अपन पक्षधर मन ला लाभकभू हमर जइसन प्रतिभा ला, ऊंच उठाय के करव प्रयास।”“बीजा होय ठोसलग उत्तम, कतरो भुइंया तरी मं होयपर आखिर मं अंकुर फूटत, बाहिर आवत भुइंया फोर।
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