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"रंग घोला है मैंने / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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आपको देख  मौसम बदलने लगा
 
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रंग गुलाबी दिशाओं पे चढ़ने लगा,
 
रंग गुलाबी दिशाओं पे चढ़ने लगा,
बात जो आप में वह कहीं भी नहीं
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बात जो आप में वह किसी में नहीं
 
आप आये कि फागुन महकने लगा।
 
आप आये कि फागुन महकने लगा।
  

16:18, 11 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

रंग घोला है मैंने भले प्यार का
रंग गाढ़ा किया है मगर आपने।

मैं अकेला रहा आप पूरक बने
मैं भ्रमित जब हुआ आप प्रेरक बने,
जिसको देखो वही मुझ में ढूँढे कमी
आप ही एक मेरे प्रशंसक बने।

आप की ओर मैंने उठायी नज़र
अंक में भर लिया है मगर आपने।

मैं पवन जिसमें खुशबू बसी आपकी
मैं वही फूल जिसमें हँसी आपकी,
हर तरफ आप ही आप दिखते मुझे
हर खुशी अब मेरी, है खुशी आपकी।

हाथ बेशक़ बढ़ाया है मैंने प्रथम
मुझको अवसर दिया है मगर आपने।

आपको देख मौसम बदलने लगा
रंग गुलाबी दिशाओं पे चढ़ने लगा,
बात जो आप में वह किसी में नहीं
आप आये कि फागुन महकने लगा।

स्वप्न देखा था मैंने भले प्यार का
स्वप्न पूरा किया है मगर आपने।