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"बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं / फ़िराक़ गोरखपुरी" के अवतरणों में अंतर

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बहुत पहले से उन कदमों की आहट जान लेते हैं<br>
 
बहुत पहले से उन कदमों की आहट जान लेते हैं<br>

01:52, 3 सितम्बर 2008 का अवतरण

बहुत पहले से उन कदमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ए ज़िन्दगी, हम दूर से पहचान लेते हैं

मेरी नजरें भी ऐसे कातिलों का जान ओ ईमान हैं
निगाहे मिलते ही जो जान और ईमान लेते हैं

तबियत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में
हम ऐसे में तेरी यादों के चादर तान लेते हैं

खुद अपना फ़ैसला भी इश्क में काफ़ी नहीं होता
उसे भी कैसे कर गुजरें जो दिल में ठान लेते हैं

जिसे सूरत बताते हैं, पता देती है सीरत का
इबारत देख कर जिस तरह मानी जान लेते हैं

तुझे घाटा ना होने देंगे कारोबार ए उल्फ़त में
हम अपने सर तेरा ए दोस्त हर एहसान लेते हैं
हमारी हर नजर तुझसे नयी सौगन्ध खाती है
तो तेरी हर नजर से हम नया पैगाम लेते हैं

फ़िराक अक्सर बदल कर भेस मिलता है कोई काफ़िर
कभी हम जान लेते हैं कभी पहचान लेते हैं