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"अगली दावत की प्रतीक्षा में / नोमान शौक़" के अवतरणों में अंतर

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17:13, 20 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

प्यार पनपता है मन में
अपने आप
बिना किसी प्रयत्न के
जिस तरह जंगल में उग आते हैं
असंख्य छोटे-छोटे पौधे

लेकिन घृणा
तैयार की जाती है कृत्रिम विधियों से
किसी घिनावनी प्रयोगशाला में
और परोस दी जाती है
स्वादिष्ट व्यंजनों की तरह
ज़बरदस्ती खाने की मेज़ पर
(हो सकता है उबकाई आ जाए
आपको मेरी कविता पढ़ते समय)

लेकिन यक़ीन कीजिए
इन्सानों के भुने हुए माँस
औरतों के कटे हुए स्तन
और बच्चों की टूटी हुई पसलियाँ
बड़े ही चाव से खाते हैं कुछ लोग
छुरी-काँटे से
चटख़ारे ले लेकर
और पूछते हैं
कब होगी अगली दावत
और कहाँ!