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"कुंडलिया / मिलन मलरिहा" के अवतरणों में अंतर

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धरके रपली जाँहुजी, खेत मटासी खार,
 
धरके रपली जाँहुजी, खेत मटासी खार,
 
भरगे पानी खेत मा, बगरे नार बियार।
 
भरगे पानी खेत मा, बगरे नार बियार।
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मिलन मन ललचाय, चेमढाई भाजी टोरके,
 
मिलन मन ललचाय, चेमढाई भाजी टोरके,
 
बने मिले हे आज, कोड़िहव रपली धरके।
 
बने मिले हे आज, कोड़िहव रपली धरके।
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पैरा के कोठार मा, फुटू पाएन आज,
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छाता ताने कम रहिस, डोहड़ु डोहड़ु साज।
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डोहड़ु डोहड़ु साज, सुग्घर चकचक चमकथे,
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जेदिन चुरथे साग, पारा परोस ललचथे।
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देखे आथे रोज, झांकत कोलहू भैरा,
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फुटू साग के आस, उझेले खरही पैरा।
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चुरके चिटिकन माड़थे, काला देबो साग,
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पाइ जाबे रे तहु फुटु, भिन्सरहे तो जाग।
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भिन्सरहे तो जाग, घपटे फुटु सुवर्ग सही,
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लगे पैरा म आग, सावन के परेम इही।
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कहत मलरिहा रोज, खार जा कुदरी धरके,
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बनफुटु बड़ घपटाय, अब्बड़ मिठाथे चुरके।
 
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17:07, 23 जनवरी 2017 का अवतरण

(1)

धरके रपली जाँहुजी, खेत मटासी खार,
भरगे पानी खेत मा, बगरे नार बियार।
बगरे नार बियार, लकड़ी झिटका टारहू,
अघुवगे सब किसान, खातु लऊहा डारहू।
मिलन मन ललचाय, चेमढाई भाजी टोरके,
बने मिले हे आज, कोड़िहव रपली धरके।

(2)

पैरा के कोठार मा, फुटू पाएन आज,
छाता ताने कम रहिस, डोहड़ु डोहड़ु साज।
डोहड़ु डोहड़ु साज, सुग्घर चकचक चमकथे,
जेदिन चुरथे साग, पारा परोस ललचथे।
देखे आथे रोज, झांकत कोलहू भैरा,
फुटू साग के आस, उझेले खरही पैरा।

(3)

चुरके चिटिकन माड़थे, काला देबो साग,
पाइ जाबे रे तहु फुटु, भिन्सरहे तो जाग।
भिन्सरहे तो जाग, घपटे फुटु सुवर्ग सही,
लगे पैरा म आग, सावन के परेम इही।
कहत मलरिहा रोज, खार जा कुदरी धरके,
बनफुटु बड़ घपटाय, अब्बड़ मिठाथे चुरके।