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"जीने का सामान / योगेंद्र कृष्णा" के अवतरणों में अंतर
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इतना भी आसान नहीं
कचरे से जीने का
कुछ सामान निकल पाना
और इस तरह
सभ्य आदमी कुत्तों और गिद्धों
की दृष्टि से बच कर निकल जाना
कितना कठिन है
हरियाली के भीतर छुपे
सांप बिच्छुओं को समझाना
इससे भी कठिन है
लेकिन...
भूख से सुलह कर पाना