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"कैसी यह रात है / योगेंद्र कृष्णा" के अवतरणों में अंतर

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13:10, 30 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

सफेद चादर में लिपटी
कैसी यह रात है
जिसमें अंधकार की
शीतल छाया नहीं

हर तरफ
उजास ही उजास है
और आंखों में
कहीं नींद का साया नहीं...

थका-थका
बासी अलसाया
कैसा यह सहर है
जो दूर-दूर तक
धुआं ही धुआं है...