भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"निष्कंप धरती का विश्वास / योगेंद्र कृष्णा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=योगेंद्र कृष्णा |संग्रह=कविता के...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:14, 30 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

मैं तुम्हें बहुत कुछ सौंप सकता हूं
निरभ्र उन्मुक्त आकाश सौंप सकता हूं
हवा के साथ बहुत जरूरी नमीं भी

लेकिन फिलहाल
तुम्हारे पैरों के नीचे
तुम्हें कुछ दिनों तक
एक मुकम्मल निष्कंप धरती का
विश्वास नहीं सौंप सकता...