भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
( * ''मुंगेर किले के अंदर पीर नाफ़ा शाह की मज़ार पर
''जब कवि एकांत श्रीवास्तव भी हमारे साथ थे : 4 अप्रैल, 2009'' )