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"नेपाल / असद ज़ैदी" के अवतरणों में अंतर

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00:45, 1 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

नेपाल तुम हमेशा अपना रास्ता बन्द कर लेते हो
नेपाल तुम हमेशा घिरे रहते हो हर तरफ़ अपने ही दोस्तों से, तुम्हें
दुश्मनों की क्या ज़रूरत…
कहीं वह घड़ी बीत तो नहीं गई?
नेपाल तुम्हें समुद्र तक जाना था, नेपाल
तुम्हें पामीर से उराल से हाथ मिलाना था,
नेपाल…
उनका निशाना तुम्हारा जिगर था—उसे तुमने नहीं बचाया।
सलाहकारों से कहो अब थोड़ा आराम कर लें।
और फिर अपनी आवाज़ सुनो—देखो कहीं तुम उसे भूल तो नहीं गए,
कहीं तुम्हारे लोग अपने ही से अजनबी तो नहीं हुए जा रहे।
नेपाल क्या तुम्हारी सभी लड़कियाँ लौट आई हैं
उपमहाद्वीपीय भट्टियों से? उनसे कहो तुम्हें उनका इन्तिज़ार है।
अनाज के दाने उनका इन्तिज़ार करते हैं,
बादलों के फाहे मरहम से तर उनका इन्तिज़ार करते हैं,
आ जाओ ताकि दरवाज़े की लकड़ी और दहलीज़ का पत्थर और
सड़क पर मील के निशान कह सकें अब सब ठीक है।
(2008–2009)
——
[अाठ साल पहले लिखी कविता का इतना ही अंश बचा रह गया है।]