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15:32, 4 मार्च 2017 के समय का अवतरण
दूबड़ी कयो - गाय, चर तो भलांई, पण चींथ मती
गाय बोली, कांईं करूं? रामजी म्हारी भूख नै पांगळी को बणाई नीं!