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"जिन्दगी बित्यो / भैरवनाथ रिमाल कदम" के अवतरणों में अंतर
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16:03, 6 मार्च 2017 का अवतरण
जिन्दगी बित्यो रुमल्ली त्यसै संसार यात्रामा
हार जितको कुनै पहेलीसंगै भौतारी यात्राामा ।।
आँखामा आँसु मनमा पिर सिवाये केही छैन
झल्किन्छ फगत दिलको घाऊ झन निको हुँदैन
ठोकर खाएँ अनगिन्ती मैले मिठो नै मानेर ।।
गोरेटो भर अल्झाइ दिन्छ म हिंड्दा बिवशले
शुन्यको सारमा जीवन रह्यो यो सबै निरसले
साहरा पनि मिलेन आखिर त्यो कहिले जानिन ।।