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"याद / मनप्रसाद सुब्बा" के अवतरणों में अंतर
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यादको सिमसिमे झरी | यादको सिमसिमे झरी | ||
झरिरहन्छ एकोहोरो | झरिरहन्छ एकोहोरो |
14:51, 16 मार्च 2017 के समय का अवतरण
यादको सिमसिमे झरी
झरिरहन्छ एकोहोरो
छातीको पाखाभरि।
भिज्छु बेस्सरी भित्रभित्रसम्म
तर चाहना बलिरहेको दीयो
निभ्दै निभ्दैन, अचम्म !
वरिपरि फैलिँदो छ यादको
अखण्डित समय अनन्त
जहाँ कुनै अर्थ छैन
वाद या विवादको।