भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गळगचिया (16) / कन्हैया लाल सेठिया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
 
{{KKCatRajasthaniRachna}}
 
{{KKCatRajasthaniRachna}}
 
<poem>
 
<poem>
 +
पान पीळा पड़ता देख र माळी रो चैरो पीळो पड़ग्यो ! फळ पीळा हूँता देख र माळी रै मूड़े परां ललाई आ गी
 
</poem>
 
</poem>

12:52, 17 मार्च 2017 के समय का अवतरण

पान पीळा पड़ता देख र माळी रो चैरो पीळो पड़ग्यो ! फळ पीळा हूँता देख र माळी रै मूड़े परां ललाई आ गी