भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बालकनी / फ़ेदेरिको गार्सिया लोर्का / उज्ज्वल भट्टाचार्य" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=फ़ेदेरिको गार्सिया लोर्का |अनुव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 19: पंक्ति 19:
 
मेरी बालकनी खुली रख छोड़ना !
 
मेरी बालकनी खुली रख छोड़ना !
  
''अंग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य'''
+
'''अंग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य'''
 
</poem>
 
</poem>

14:53, 16 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

अगर मर जाऊँ,
मेरी बालकनी खुली रख छोड़ना!

छोटा सा बच्चा सन्तरा खाता है।
(अपनी बालकनी से उसे देख सकता हूँ)

खेतिहर फ़सल काटता है
(अपनी बालकनी से उसे सुन सकता हूँ)

अगर मर जाऊँ,
मेरी बालकनी खुली रख छोड़ना !

अंग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य