भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"नन्हे सपने / नीलेश रघुवंशी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीलेश रघुवंशी |संग्रह=घर-निकासी / नीलेश रघुवंशी }} एक दि...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:11, 30 मई 2008 का अवतरण
एक दिन
तुमने कुछ कहा था?
याद नहीं
उसी को याद करता मेरा अकेलापन
ख़ामोश रात जागती आँखें
नन्हें जीवित सपने
एक दिन के।