भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सुना जब हरि है जाने वाले / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=गीत-वृंदावन / ग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(पृष्ठ को खाली किया)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{KKRachna
 
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
 
|संग्रह=गीत-वृंदावन / गुलाब खंडेलवाल
 
}}
 
[[Category:गीत]]
 
<poem>
 
सुना जब हरि हैं  जानेवाले
 
मथुरावासी खड़े हो गए पथ में घेरा डाले
 
  
नयनों से थे अश्रु उमड़ते
 
आ-आकर रथ सम्मुख अड़ते
 
तिल भर नहीं अश्व थे बढ़ते साँचे  के-से ढाले
 
 
समझ भाग्य फिर ब्रज के जागे
 
व्रजवासी लेने को भागे
 
राधा नंदभवन के आगे पहुँची सब सखियाँ ले
 
 
मथुरा-वृन्दावन से कट कर
 
पर हरि गए द्वारिका-पथ पर
 
दोनों के दुःख हुए बराबर किसको कौन सँभाले !
 
 
सुना जब हरि हैं  जानेवाले
 
मथुरावासी खड़े हो गए पथ में घेरा डाले
 
<poem>
 

08:01, 20 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण