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"ऑटोसाइकोग्राफ़ी / फ़ेर्नान्दो पेस्सोआ / अशोक पाण्डे" के अवतरणों में अंतर

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दिखावा करते हैं सारे कवि
 
दिखावा करते हैं सारे कवि
और इतना वास्तविक होताहै उनका दिखावा
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और इतना वास्तविक होता है उनका दिखावा
 
कि वे उस दर्द का भी दिखावा कर लेते हैं
 
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जो उन्हें वास्तव में महसूस हो रहा होता है।
 
जो उन्हें वास्तव में महसूस हो रहा होता है।

19:04, 22 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

दिखावा करते हैं सारे कवि
और इतना वास्तविक होता है उनका दिखावा
कि वे उस दर्द का भी दिखावा कर लेते हैं
जो उन्हें वास्तव में महसूस हो रहा होता है।

और वे उनका लिखा पढ़ते हैं
पढ़ते हुए पूरी तरह महसूस करते हैं
उनका वह दर्द नहीं जो दूना होता है
बल्कि उनका अपना,
जो पूरी तरह काल्पनिक,
सो इन पटरियों पर लगातार चक्कर काटती हुई,
दिमाग़ के मनोरंजन के लिए
चाबी लगी वह नन्ही रेलगाड़ी चलती जाती है
जिसे हम आदमी का दिल कहते हैं।

(1931)

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अशोक पाण्डे