भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
::वर आत्म ज्ञान का गूढ़, सत्य है, पर यही वर चाहिए,<br>
::सब प्रलोभन व्यर्थ मुझको , आत्म ज्ञान ही चाहिए॥ [ २९ ]<br><br>
</span>
<br><br>
<span class="upnishad_mantra">
॥ इति काठकोपनिषदि प्रथमाध्याये प्रथमा वल्ली ॥
</span>