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::वर आत्म ज्ञान का गूढ़, सत्य है, पर यही वर चाहिए,<br>
::सब प्रलोभन व्यर्थ मुझको , आत्म ज्ञान ही चाहिए॥ [ २९ ]<br><br>
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॥ इति काठकोपनिषदि प्रथमाध्याये प्रथमा वल्ली ॥
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