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माँ / राहुल शिवाय

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पालती है पोसती है, सींचती है बच्चों को वो,
आँचल से ममता की सुधा को पिलाती है l
 
देवकी सी माता बन, देती है हरि को जन्म,
माता ही यशोदा बन, पालना झुलाती है l
माता जीजाबाई जैसी होती है सबल, जो कि
शिवा में साहस भर, शिवाजी बनती है l
माता पन्नादाई जैसी, रखती स्वदेश आन,
हँसी-ख़ुशी देश पे जो पुत्र को लुटाती है l
होते हैं कपूत पूत, माता न कुमता होती,
माता तो कपूत को भी गले से लगाती है l
बाल-दुःख पा अधीर, नयन समाए नीर,
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