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"आँखाको भाखा / रत्न शमशेर थापा" के अवतरणों में अंतर
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09:48, 21 मई 2017 के समय का अवतरण
आँखाको भाखा आँखैले, राम्ररी बुझी सम्झनु
सुटुक्क दिउँला म मन, कसैलाई तिमि नभन्नु २
रिमझिमे हल्का शीतले, गीत मधुरो गाउला २
सुनौला घामको झुल्काले, काउकुती मिठो लाउला
प्रेमको कुरा प्रेमैले, मनमा गुनी राख्नु
सुटुक्क दिउँला….
जिस्कि मस्किने चन्द्रलाई, धरती मै हामी डाकौला २
आफ्नै मनको संसारमा, सुखको श्वास फेरौंला
मुटुको बोलि मुटुले, सुनेर हांसी रहनु
सुटुक्क दिउँला….