भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"उगतो सूरज / उगामसिंह राजपुरोहित `दिलीप'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उगामसिंह राजपुरोहित `दिलीप' |अनुव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
{{KKCatRajasthaniRachna}} | {{KKCatRajasthaniRachna}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | उगतो | + | उगतो सूरज कैवे गाथा |
कट गई रै काळी रातां | कट गई रै काळी रातां | ||
सुणै डावड़ा समै री बातां | सुणै डावड़ा समै री बातां |
17:13, 11 जून 2017 के समय का अवतरण
उगतो सूरज कैवे गाथा
कट गई रै काळी रातां
सुणै डावड़ा समै री बातां
करतो रैवै कोसिस सिदा
सफल हो जासी थारी मेहणत
जको होयो वो तो बीतगो भायां
रात गई रातै रै, भूलजो सगळी बातां
नूवों सुवेरो आवै कर उण री बातां
ऊगतो सूरज कैवे गाथा
कट गई रे सारी काळी रातां
ऊगतो सूरज कैवै बातां...।