भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कोयलड़ी / राजेन्द्रसिंह चारण" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्रसिंह चारण |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:54, 11 जून 2017 के समय का अवतरण

कागलिया री
कांव-कांव सूं
कांपती कोयलड़ी
ईण्डा फूटण रै डर सूं
कूं-कूं करै
अर लोग सोचै
कित्तो मीठौ गावै है।