भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रीत रा गीत / राजेन्द्रसिंह चारण" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्रसिंह चारण |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:59, 11 जून 2017 के समय का अवतरण

आज मानखौ
मानखां ने‘ई खावै है
फेर भी ई नै रत्तीभर
सरम नीं आवै है
आंख्यां री लाज मिटगी
संवेदणा
व्यावहारिकता गिरगी
अबै थूं ई बता
म्हारी गौदड़ी
कियां लिखूं मैं
प्रीत रा गीत।