भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सतमासिया सपना / कृष्ण वृहस्पति" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कृष्ण वृहस्पति |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=कृष्ण वृहस्पति | |रचनाकार=कृष्ण वृहस्पति | ||
|अनुवादक= | |अनुवादक= | ||
− | |संग्रह= | + | |संग्रह=थार-सप्तक-5 / ओम पुरोहित ‘कागद’ |
}} | }} | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} |
11:10, 12 जून 2017 के समय का अवतरण
बै सात महीना
जिण मांय तूं रैई
म्हारै तिसायैं होटां रै बिचाळै
अर
म्हूं रैंयो
तेरी औसरती
दीठ मांय लगोतार
भीजतो।
बै सात मईना
सात पाना है
म्हारी जिन्दगी री किताब रा
बाकी तो
कोरा है जाबक
म्हारै नसीब दाई।
बां सात महीना रै मांय
जी'ण रै बाद
म्हूं अब समइयो
क्यूं नी जीवै
घणकारी बार
सतमासिया।