भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"म्हारी छात / नरेश मेहन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नरेश मेहन |अनुवादक= |संग्रह=थार-सप...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

21:19, 12 जून 2017 के समय का अवतरण

म्हारी छात
म्हां माथै
पड़ण नै त्यार है
छात रा लेवड़ा तो
कद रा
झड़ण नै त्यार है
म्हैं पण
उणी छात तळै रात भर सोया करूं।

म्हनै ठाह है
म्हारो देस ई नीं, पाड़ोसी देस भी
राखै परमाणूं बम्ब
जकां रा धमीड़
म्हनै ओढ़ा देस्सी
कदै ई अचाणचक धूळ रो खफ़ण

म्हैं
गांधी रै देस रो
सोमनाथ रै पंडां ज्यूं
सोऊं आखी रात
बेखटकै आ सोचतो थको कै
कदै ई इयां थोड़ी होया करै।