भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"डेमोक्रेसी : दो / सुरेन्द्र डी सोनी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेन्द्र डी सोनी |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:09, 12 जून 2017 के समय का अवतरण
कूड़ां मांयलो कूड़ो
अर चोरां मांयलो चोर
ओजूं आयो है
लीलाड़ी करयां आगै
थूं देस री चिन्ता करणियों
बडो मास्टर
सदा ही जाड़ां भींचै
क कद लारो छूटसी
आं कुमांणसां सूं
‘और कियां हो प्रोफेसर सा‘ब’
सुणतां ही टूट‘र पड़्यो
बीं सूं हाथ मिलावण नैं
वां’रै राज रा चाकर।