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"सबद : दो / राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'" के अवतरणों में अंतर

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सबद रचावै रास
बधावै आस
कर देवै जड़ नै चेतण
कदै कालिदास
अर तुलसीदास
तो कदै पाणिनि।

अंवेर नै राखौ
काळजै मांय
जीभ सूं ओलै।