भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पान झरै तो झरो / रचना शेखावत" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रचना शेखावत |अनुवादक= |संग्रह= {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
08:05, 14 जून 2017 का अवतरण
{{KKRachna |रचनाकार=रचना शेखावत |अनुवादक= |संग्रह=
पान झरै तो कांर्इ्र
झर जाओ भलांई
कदास आ नीं होवै
उमर खोलै चौपड़ी
काढै
कोई लियो-दियो।
जूना हिसाब खुल्यां
लाग जावै
ब्याज-पड़ब्याज
फेर भलांईं
उमर रैवै ठंड दांई
पान झरै तो झरो भलांईं।