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"गैर को गैर समझ / आनंद कुमार द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
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10:36, 17 जून 2017 के समय का अवतरण
गैर को गैर समझ यार को यार समझ
रब किसी को न बना प्यार को प्यार समझ
वक़्त वो और था जब हम थे कद्रदानों में
ये दौर और है इसमें मुझे बेकार समझ
तू जो क़ातिल हो भला कौन जिंदगी माँगे
जिस तरह चाहे मिटा, मुझको तैयार समझ
बावरे मन ! तेरी दुनिया में कहाँ निपटेगी
वक्त को देख जरा इसकी रफ़्तार समझ
तेरा निज़ाम है, मज़लूम को भी जीने दे
देर से ही सही इस बात की दरकार समझ
धूप या छाँव तो नज़रों का खेल है प्यारे
दर्द का गाँव ही ‘आनंद’ का घर-बार समझ