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"उसने सब लाज़बाब भेजा है / आनंद कुमार द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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उसने ख़त का जबाब भेजा है
हाय क्या इंकलाब भेजा है

प्यार में डूबी ग़ज़ल भेजी है
एक प्यारा गुलाब भेजा है

नींद आँखों से लूटकर उसने
कितना मदहोश ख्वाब भेजा है

दिन को, खुशबू चमन की भेजी है
रात को, माहताब भेजा है

राह चलते हिना महकती है
उसने ऐसा शबाब भेजा है

अपने ‘आनंद’ के लिए यारों
उसने सब लाज़बाब भेजा है