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"एक बार होना चाहिए / आनंद कुमार द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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ऐसे लम्हों पे तो बस,  धिक्कार होना चाहिए  !
 
ऐसे लम्हों पे तो बस,  धिक्कार होना चाहिए  !
  
जिंदगी तुझसे कभी कुछ,  और मांगूंगा नही
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ज़िंदगी तुझसे कभी कुछ,  और मांगूंगा नही
 
जिस तरह भी हो, विसाल-ए-यार  होना चाहिए
 
जिस तरह भी हो, विसाल-ए-यार  होना चाहिए
  

21:20, 17 जून 2017 का अवतरण

जिंदगी में कम से कम एक बार होना चाहिए
मेरी ख्वाहिश है सभी को प्यार होना चाहिए !

इश्क में और जंग में हर दांव जायज़ है, मगर
आदमी पर सामने से, वार होना चाहिए  !

नाम भी मजनूँ का गाली बन गया इस दौर में
बोलो, कितना और बंटाधार होना चाहिए  !

लैस है, ‘वृषभान की बेटी’ नयी तकनीक से ,
‘सांवरे’ का भी नया अवतार होना चाहिए  !

हाय क्या मासूमियत, क्या क़त्ल करने का हुनर
आपका तो नाम ही , तलवार होना चाहिए  !

आँख भी जब बंद हो और वो तसव्वुर में न हो
ऐसे लम्हों पे तो बस, धिक्कार होना चाहिए  !

ज़िंदगी तुझसे कभी कुछ, और मांगूंगा नही
जिस तरह भी हो, विसाल-ए-यार होना चाहिए

खासियत क्या इश्क की ‘आनंद’ से पूछो ज़रा
सच बता देगा मगर, ऐतबार होना चाहिए  !!