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"सब को दिल के दाग़ दिखाए एक तुझी को दिखा न सके / इब्ने इंशा" के अवतरणों में अंतर

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मन पापी की उजड़ी खेती सूखी की सूखी ही रही  
 
मन पापी की उजड़ी खेती सूखी की सूखी ही रही  
उमडे बादल गरजे बादल बूँदें दो बरसा न सके  
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12:24, 18 जून 2017 के समय का अवतरण

सब को दिल के दाग़ दिखाए एक तुझी को दिखा न सके
तेरा दामन दूर नहीं था हाथ हमीं फैला न सके

तू ऐ दोस्त कहाँ ले आया चेहरा ये ख़ुर्शीद मिसाल
सीने में आबाद करेंगे आँखों में तो समा न सके

ना तुझ से कुछ हम को निस्बत ना तुझ को कुछ हम से काम
हम को ये मालूम था लेकिन दिल को ये समझा न सके

अब तुझ से किस मुँह से कह दें सात समुंदर पार न जा
बीच की इक दीवार भी हम तो फाँद न पाए ढा न सके

मन पापी की उजड़ी खेती सूखी की सूखी ही रही
उमड़े बादल गरजे बादल बूँदें दो बरसा न सके