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"बेवकूफ़ / आनंद कुमार द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
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22:00, 18 जून 2017 के समय का अवतरण
तुमसे आगे नहीं बढ़ पाई
न मेरी कविता
न मैं,
हाँ बढ़ गया वक़्त
एक दिन
धीरे से कान में कहता हुआ
'बेवकूफ़'...
मैंने चौंककर खुद को देखा
मुस्कराया
आश्वस्त हुआ
कि आख़िरी वक़्त में कुछ तो रहेगा
पहचान के लिए
तुम न सही
तुमसे मिला कोई नाम ही सही !