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"आँखों की बरसात के बीच / आनंद कुमार द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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22:09, 18 जून 2017 के समय का अवतरण

जिस विज्ञान ने हमें मिलाया था
अंततः उसी ने छीन भी लिया
एक फोन
एक मेल
और बस नीला गहरा आसमान
जिसका कहीं कोई ओर छोर नहीं
मैं चाहता हूँ केवल इतना
कि
मेरे मरने की खबर
तुम तक पहुँचे
और तुम्हारे न रहने की मुझ तक
अगर तुम्हें लगता है कि
मुझे इतना भी मिलने का हक़ नहीं
तो तुम बेवफा हो !