भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"होना न होना / आनंद कुमार द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आनंद कुमार द्विवेदी |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:43, 18 जून 2017 के समय का अवतरण
(१)
जब जब मैं यह देखता हूँ
जीवन में क्या क्या है मेरे पास
तुम्हारा नहीं होना
हमेशा साथ होता है
तुम्हारी इस तदबीर पर
बेसाख्ता मुस्कराता हूँ ,
मान लेता हूँ
कि तुम हो बाबा... आज भी
मुझमें सबसे ज्यादा !
(२)
मैं आज भी वही हूँ
तुम्हें अपना भगवान मानता हुआ
सहज स्वतंत्र, बंधन हीन, अपने मन का, बेपरवाह
कौतुकी, मायामय, सबकुछ खेल समझने वाला
अलभ्य अगम्य किन्तु प्रिय,
तुम आज भी वही हो
पाषाण !