भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मुकाबलों घाघरे सूँ / निर्मल कुमार शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निर्मल कुमार शर्मा |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:44, 25 जून 2017 के समय का अवतरण

घाघरो जो घूम्यो, मरग्या दिल्ली शैर रा छोरा
म्हारे पचरंगे पेचा पे, छोरी एक ना मरी

यो मस्त-मस्त जद घूमे
छोरा हुया बावला झूमे
बा बिजली ज्यूँ पळका मारे
घड़ी दिखे घड़ी खो जावे
हिरणी सी ठुमका मारे
छोरा भागे लारे-लारे
अरे, छपन छुरी जो आई
मरग्या दिल्ली शैर रा छोरा
मैं छैलो रंग-रंगीलो छोरी एक ना मरी

घाघरो जो घूम्यो, मरग्या दिल्ली शैर रा छोरा
म्हारे पचरंगे पेचा पे, छोरी एक ना मरी

कई मरिया कँवळ सा नैणा पे
कई मरिया सुरीला बैणा पे
कई मरिया खणकते चुडलाँ पे
कई मरिया झणकते कड़लाँ पे
कई मरिया गुलाबी गालाँ पे
कई मरिया रेशमी बालाँ पे
अरे, रेशमी बालाँ पे
मरग्या दिल्ली शैर रा छोरा
म्हारी बांकड़ली मूछ्याँ पे छोरी एक ना मरी

घाघरो जो घूम्यो, मरग्या दिल्ली शैर रा छोरा
म्हारे पचरंगे पेचा पे, छोरी एक ना मरी

बा कंवले फूल री पांखड़ली
जो देखे हटे ना आन्खड़ली
फुलडा होठा स्यूं ढळकाती
कंचण सी काया मदमाती
अरे, कामणी काया पे
मरग्या दिल्ली शैर रा छोरा
मैं छोरो भीम बदन को, छोरी एक ना मरी

घाघरो जो घूम्यो, मरग्या दिल्ली शैर रा छोरा
म्हारे पचरंगे पेचा पे, छोरी एक ना मरी