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"दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-16 / दिनेश बाबा" के अवतरणों में अंतर
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− | + | बंगाली के जिन्दगी, नित्यगीत-संगीत | |
− | + | खान-पान पारंपरिक, भाषा सें अति प्रीत | |
− | + | 122 | |
− | + | स्वर्णाभूषण के चलन, चूड़ी, कंगन हार | |
− | + | संुदर लागै लेॅ करै, हर महिला श्रृंगार | |
− | + | 123 | |
− | + | मर्द पराया केॅ रखै, जे मन में संजोय | |
− | + | कहियै भले विवाहिता, पतिव्रता नै होय | |
− | + | 124 | |
− | + | नारी के सौंदर्य छै, निर्मल चरित, सुभाव | |
− | + | दुश्चरित्रा नारी छिकै, कार्बंकल रं घाव | |
− | + | 125 | |
− | + | नारी उज्वल चरित के सगरो पूजल जाय | |
− | + | हुनकर श्रद्धा-प्रेम सें, मोॅन कभी न अघाय | |
− | + | 126 | |
− | + | बेटी छिकै निमुहां धन, जाय पराया घोॅर | |
− | घोॅर | + | बापें खोजै छै तहीं, निक्को नाखी बोॅर |
− | + | 127 | |
− | + | बात-बात पर नैं एना, रहियो गाल फुलाय | |
− | + | बेटी जौं ऐन्हों करेॅ, होय छै हिनस्ताय | |
− | + | 128 | |
− | + | ‘बाबा’ जौं बीबी राखियै, जस टाटा स्टील | |
− | + | काम-काज व्यवहार में, लगथौं जना वकील | |
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18:19, 25 जून 2017 के समय का अवतरण
121
बंगाली के जिन्दगी, नित्यगीत-संगीत
खान-पान पारंपरिक, भाषा सें अति प्रीत
122
स्वर्णाभूषण के चलन, चूड़ी, कंगन हार
संुदर लागै लेॅ करै, हर महिला श्रृंगार
123
मर्द पराया केॅ रखै, जे मन में संजोय
कहियै भले विवाहिता, पतिव्रता नै होय
124
नारी के सौंदर्य छै, निर्मल चरित, सुभाव
दुश्चरित्रा नारी छिकै, कार्बंकल रं घाव
125
नारी उज्वल चरित के सगरो पूजल जाय
हुनकर श्रद्धा-प्रेम सें, मोॅन कभी न अघाय
126
बेटी छिकै निमुहां धन, जाय पराया घोॅर
बापें खोजै छै तहीं, निक्को नाखी बोॅर
127
बात-बात पर नैं एना, रहियो गाल फुलाय
बेटी जौं ऐन्हों करेॅ, होय छै हिनस्ताय
128
‘बाबा’ जौं बीबी राखियै, जस टाटा स्टील
काम-काज व्यवहार में, लगथौं जना वकील