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"च्यार अचपळा चितराम (3) / विजय सिंह नाहटा" के अवतरणों में अंतर
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एकांत है प्रेम
अर अठै ई हूं
पसरयोड़ो
सागवाण रा पानकां माथै
टपकतै टोपां रै संगीत में
तान भेळता सा
समूळै होवण नै धारयां
एक छिण नै बींधता सा।