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कोई तो जांवती होवैला पगडांडी
उण मकान तांईं
केतन एक ऊंची चोटी टिरै
कोई तो जांवतो ई होवैला
रात बास्सै सारू
उजाड़ रै सुनियाड़ नै भरण
इण घाटी रै सरणाटै नै हरण।